चंद्रमा मन का देवता है इसी कारण यह मन की हर स्थिति चंचलता, स्थिरता और प्रसन्नता आदि को नियंत्रित करता है । मस्तक पर दोनों ओर की भौंहों के मध्य स्थान को चंद्रमा का भाग कहा जाता है। यहां पर चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए चंदन, रोली आदि का टीका लगाया जाता है और स्त्रियां बिंदी लगाती हैं।
करवा चौथ को चंद्रमा की प्रसन्नता के लिए पहले दिन उपवास रखा जाता है और फिर रात्रि में जब चंद्रमा उदय हो जाता है, तब अर्घ्य देकर विधिवत उसका पूजन किया जाता है। इसके बाद ही सौभाग्यवती स्त्रियां अन्न-जल ग्रहण करती हैं। करवा चौथ के इस व्रत को मानने के पीछे धन-मान, सौभाग्य और पति की हर संकट से रक्षा मुख्य कारण बताए जाते हैं।