swastika symbol

स्वस्तिक चिह्न ( 卐 ) को कल्याण का प्रतीक क्यों माना जाता है ?

स्वस्तिक चिह्न ( 卐 ) के बारे में गणेश पुराण में कहा गया है- स्वस्तिक चिह्न भगवान गणेश का स्वरूप है। सभी मांगलिक कार्यों में इसकी स्थापना अनिवार्य रूप से की जाती है । स्वस्तिक में सभी विघ्न-बाधा और अमंगल दूर करने की शक्ति निहित है । जो व्यक्ति स्वस्तिक को प्रतिष्ठित किए बिना मांगलिक कार्य आरम्भ करता है, उसे अनेक विघ्न-बाधाओं का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि मांगलिक कार्य का शुभारम्भ करने से पूर्व ही स्वस्तिक चिह्न बनाकर स्वस्तिवाचन किया जाता है । स्वस्तिवाचन में निम्न श्लोक का उच्चारण किया जाता है-

स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्ताक्षर्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥

अर्थात् महान कीर्ति से युक्त देवराज इंद्र हमारा कल्याण करें। विश्व के ज्ञानस्वरूप पूषा देव अपने ज्ञान से हमारा कल्याण करें। भगवान गरुड़ देव, जिनके हथियार अरिष्ट भंग करने में समर्थ हैं, हमारी रक्षा करें और देवगुरु बृहस्पति हमारे घर में कल्याण की प्रतिष्ठा करें।

आचार्य यास्क के अनुसार स्वस्तिक को अविनाशी ब्रह्म की संज्ञा दी गई है। इसे श्री ( धन की देवी लक्ष्मी) का प्रतीक चिह्न भी माना जाता है ।

ऋग्वेद की एक ऋचा में स्वस्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है, जबकि अमरकोश में इसे आशीर्वाद, पुण्य, क्षेम और मंगल का पर्याय माना गया है ।

स्वस्तिक का एक नाम ‘सतिया’ भी है। सतिया को सुदर्शन चक्र का प्रतीक भी माना गया है। यह गणितीय परिकलन के धनात्मक चिह्न (-) को भी प्रकट करता है, जो संपन्नता और सुख-समृद्धि का प्रतीक है।

शास्त्रों के अनुसार स्वस्तिक की आठ भुजाएं पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, आकाश और मस्तिष्क भाव आदि की प्रतीक मानी जाती हैं। मुख्यतः चार भुजाएं चार दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण), चार युगों (सतयुग,त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग), चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र), चार आश्रमों (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास), चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ,काम, मोक्ष), ब्रह्माजी के चार मुखों और चार हाथों, चार वेदों (ऋग्वेद,यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) और चार नक्षत्रों (पुष्य, चित्रा, श्रवण, रेवती) आदि की प्रतीक मानी जाती हैं । इस प्रकार स्वस्तिक चिह्न को इन सभी की कृपा और आशीर्वाद पाने का मार्ग और कल्याण का प्रतीक माना जाता है।

One thought on “स्वस्तिक चिह्न ( 卐 ) को कल्याण का प्रतीक क्यों माना जाता है ?

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