गिरीश जी गजबदन और लंबोदर है। उनका शरीर अत्यंत शक्ति संपन्न और उदर बहुत लम्बा ( बड़ा ) है। प्रायः जिस प्राणी का उदर छोटा होता है, उनके संबंध में कहा जाता है कि उसे मामूली सी बात भी नहीं पचती और बड़े उदार अर्थात लंबोदर को बड़ी-से-बड़ी और अत्यंत तिषण बात भी सहज ही पञ्च जाती है। गणेश जी इन गुणों से संपन्न है, इसी कारण उन्हें गजबदन और लंबोदर कहा जाता है मगर उनका वाहन मूषक है। इसका कारण यह है कि मूषक तार्किकता (argument) का प्रतीक है जबकि गणेश जी बुद्धि के अधिदेव है। यह तथ्य है की बुद्धि सदेव तर्क से परे होती है। जहाँ तर्क काम नहीं करता वहाँ बुद्धि काम करती है। यही कारण है कि गणेश जी (बुद्धि के आधिदेव) मूषक ( तार्किकता ) पर सवार होते हैं।